शाह मस्ताना जी: सिरसा वाले बाबा की जीवन गाथा 2025

शाह मस्ताना जी: सिरसा वाले बाबा की जीवन गाथा 2025 

शाह मस्ताना जी महाराज, जिन्हें "बीजनेहार" और "शाह मस्ताना जी बलूचिस्तानी" के नाम से भी जाना जाता है, डेरा सच्चा सौदा सिरसा के संस्थापक थे. उनका जन्म 1891 में बलूचिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) के कलात जिले के गांव कोटड़ा में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम खेमा मल जी था.

1.प्रारंभिक जीवन और आध्यात्मिक खोज:
                                                              बचपन से ही खेमा मल जी का मन (सांसारिक मामले) Worldly Affairs से हटकर (आध्यात्मिक) Spirituality की ओर अधिक था. वे अक्सर ध्यान में लीन रहते और परमात्मा की खोज में भटकते रहते थे. उन्होंने कई गुरुओं और संतों से मुलाकात की, लेकिन उन्हें कहीं भी अपने मन को संतुष्टि नहीं मिली. उनकी यह आध्यात्मिक प्यास उन्हें अंततः राधास्वामी मत के संत सावन सिंह जी महाराज के पास ली सावन सिंह जी ने ही उन्हें "शाह मस्ताना जी" नाम दिया.

2.डेरा सच्चा सौदा की स्थापना :

गुरु सावन सिंह जी महाराज के आदेश पर, शाह मस्ताना जी 1948 में सिरसा, हरियाणा आए. यहां उन्होंने "डेरा सच्चा सौदा" की स्थापना की. इस डेरे का मुख्य उद्देश्य लोगों को परमात्मा का नाम जपने और मानवता की सेवा करने के लिए प्रेरित करना था. शाह मस्ताना जी ने बिना किसी भेदभाव के सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को अपने साथ जोड़ा. उन्होंने प्रेम, भाईचारे और निस्वार्थ सेवा का संदेश फैलाया शाह मस्ताना जी महाराज लोगो को नामदान से जोड़ने के लिए पैसे, सोना, चांदी,कपड़े,और अन्य बहुत सी वस्तुएं बांटी ताकि लोगो को नादान से जोड़ा जा सके और उन्हें आत्मा से परमात्मा का रास्ता बताया जा सके।


3.उनकी शिक्षाएँ और प्रभाव:

शाह मस्ताना जी महाराज की शिक्षाएँ बहुत सीधी और सरल थीं. वे जोर देते थे कि परमात्मा को पाने के लिए किसी आडंबर या कर्मकांड की आवश्यकता नहीं है, बल्कि सच्ची भक्ति और निष्ठा ही काफी है. उन्होंने लोगों को नाम जपने (परमात्मा के नाम का ध्यान), सत्संग (धार्मिक सभाओं में भाग लेना), और सेवा (मानवता की निस्वार्थ सेवा) के महत्व को समझाया.

उनके प्रभाव से लाखों लोग नशे, बुराइयों और सामाजिक कुरीतियों से दूर हुए. उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए कई कल्याणकारी कार्य किए. शाह मस्ताना जी ने अपने जीवनकाल में अनेकों डेरों और सत्संग घरों का निर्माण करवाया, ताकि उनके अनुयायी आसानी से आध्यात्मिक शिक्षाएं ग्रहण कर सकें.

4.विरासत :

शाह मस्ताना जी महाराज ने 1960 में अपना शरीर त्याग दिया, लेकिन उनकी शिक्षाएँ और उनका संदेश आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रकाशित कर रहा है. उनके बाद, डेरा सच्चा सौदा की बागडोर शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने संभाली, और वर्तमान में संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसां इसके प्रमुख हैं. शाह मस्ताना जी को आज भी उनके अनुयायियों द्वारा एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु और मानवता के सेवक के रूप में याद किया जाता है.

क्या आप शाह मस्ताना जी के जीवन या डेरा सच्चा सौदा के बारे में कुछ और जानना चाहेंगे?


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