हर की पौड़ी का नाम हर की पौड़ी कैसे पड़ा 2025
* "हर" का अर्थ: "हर" शब्द भगवान विष्णु (हरि) या भगवान शिव का प्रतीक है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख देवता हैं.
* "की" का अर्थ: "की" एक संबंध कारक है, जिसका अर्थ है "का" या "के".
* "पौड़ी" का अर्थ: "पौड़ी" का अर्थ है "सीढ़ियाँ" या "चरण".
तो, "हर की पौड़ी" का शाब्दिक अर्थ है "भगवान के चरण" या "भगवान के पदचिह्न".
यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार:
* भगवान विष्णु के पदचिह्न: माना जाता है कि भगवान विष्णु ने वैदिक काल में इस स्थान पर ब्रह्मकुंड का दौरा किया था और उनके पदचिह्न यहां एक पत्थर पर अंकित हैं. इसी कारण इसे "हर की पौड़ी" कहा जाने लगा.
* अमृत की बूंदें: समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत से भरा कलश गरुड़ ले जा रहे थे, तब उसकी कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी थीं, जिनमें से एक बूंद हर की पौड़ी स्थित ब्रह्मकुंड में गिरी थी. यह स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है.
* गंगा का प्रवेश: यह भी माना जाता है कि हर की पौड़ी वह स्थान है जहां गंगा नदी पहाड़ों से निकलकर मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है.
इसके अलावा, कुछ कथाओं के अनुसार, 1वीं शताब्दी ईसा पूर्व में राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरि की याद में इस घाट का निर्माण करवाया था, जो यहां गंगा के तट पर ध्यान किया करते थे.
कुल मिलाकर, हर की पौड़ी का नाम मुख्य रूप से भगवान विष्णु के पदचिह्नों और इस स्थान की अत्यधिक धार्मिक पवित्रता के कारण पड़ा है, जो इसे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक बनाता है।
0 Comments